Mohabbat Shayari 2  Line

चेहरे हज़ार देखे हैं मग़र दिल में कोई बसा नहीं, 
सच कहूँ एक तेरे सिवा मुझको कोई नशा नहीं।

महफूज़ है महोब्बत तेरी मेरी अल्फाज़ो मॆ,
यूँ ही नहीं हम रोज़ तुझे ल़फ्ज़ो मॆ उतारा करते।

जब मुहब्बत बेपनाह हो किसी से,
तो हर तीसरा शख्स बुरा लगता है।

दोनों जानते हैं हम नहीं हैं एक दूसरे के नसीब में परदिन भी दिन मोहब्बत बेपनाह होते जा रही है।

कोन कहता है दिल सिर्फ सीने में धड़कता है तुमको दे खने बेठू तो मेरी उँगलिया भी धड़कने लगती है

नज़रे करम मुझ पर इतना न कर,की तेरी मोहब्बत के लिए बागी हो जाऊं,मुझे इतना न पिला इश्क़-ए-जाम की,मैं इश्क़ के जहर का आदि हो जाऊं।

वो हसरतें दिल की अब जुबां पर आने लगी,तुमने देखा और ये ज़िन्दगी मुस्कुराने लगी,मोहाब्बत की इन्तहा थी या दीवानगी मेरी,हर सूरत में मुझे सूरत तेरी नज़र आने लगी।

ना जाने कब वो रिश्ता बन गयाकोई अनजाना ना जाने कब अपना बन गयाहमें एहसास भी ना हुआ और कोईहमारी जिंदगी की जरूरत बन गया।

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