Read sad shayari on zindagi
हम लबों से कह न पाए उन से हाल-ए-दिल कभी
और वो समझे नहीं ये ख़ामोशी क्या चीज़ है
ham labo se kah na paye unse haal e dil kabhi
aur vo samjhe nahi ye khamosi kya cheez hai.
– निदा फ़ाज़ली
किसी दिन ज़िंदगानी में करिश्मा क्यूं नहीं होता
मैं हर दिन जाग तो जाता हूं ज़िंदा क्यूं नहीं होता
Kisi din zindgani me karishma kyu nahi hota
mai har din jaag to jata hu jinda kyu nahi hota
-rajesh reddy
ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं
पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है
Zindagi tune mujhe kabra se kam di hai zameen
paw failau to deewar se sar lagti hai
-बशीर बद्र
मौत का भी इलाज हो शायद
ज़िंदगी का कोई इलाज नहीं
Maut ka bhi ilaz ho shayad
zindagi ka koi ilaz nahi
-फ़िराक़ गोरखपुरी
उम्र-ए-दराज़ माँग के लाई थी चार दिन
दो आरज़ू में कट गए दो इंतिज़ार में
Umra e daraz mang ke layi thi char din
do aarzoo me kat gaye do intezar me
-सीमाब अकबराबादी
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से
dekha hai zindagi ko kuch itne karib se
chehare tamam lagne lage ajib se
-साहिर लुधियानवी
तुम मोहब्बत को खेल कहते हो
हम ने बर्बाद ज़िंदगी कर ली
Tum mohabbat ko khel kahate ho
hamne zindagi barbad kar
-बशीर बद्र
गँवाई किस की तमन्ना में ज़िंदगी मैं ने
वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैं ने
Gawai kis tamanna me zindagi maine
vo kaun hai jise dekha nahi kabhi maine
-जौन एलिया