जो पा लिया वो मोहब्बत ही क्या,
जो सुलगता रहे वहीं लाजवाब इश्क है।
मेरी किसी भी शायरी में तेरा नाम नहीं है,
तू बस दिल में है, सरेआम नहीं है।
तेरे हिज्र में जीना बेशक उस रब की रजा है
मगर फिर भी तुमसे ताउम्र इश्क़ करेगे ये हमारी रजा है।
नज़रअंदाज़ करने की सजा देनी थी तुमको,
तुम्हारे दिल में उतर जाना ज़रूरी हो गया था।
इश्क की नासमझी में,
हमने सब-कुछ गवां दिया,
वो माँग रहे थे कुछ पल मोहब्बत के,
हमने अपना दिल थमा दिया।
खुदा से बस एक दुआ करता हूं मै,
तेरी शान ओ शौकत सलामत रहे,
कि मै तो दरकिनार कर दिया गया,
तू किसी ना किसी की अमानत रहे।
क्या खता हो गई मुझसे कि,
तेरा दीदार भी नसीब नहीं होता,
तारीफ़ तो हर किसी की अच्छी लगती है मगर,
उसकी डांट सुनकर दिल को सुकुन मिलता है।
वक़्त ठहर जा ज़रा सा,
क्यों है तुझे इतनी जल्दी?
खामोशी से बाहों मै भरकर,
महबूब का दीदार करने तो दे।
नज़र ना लगे किसी को इसीलिए छुपा रखा है,
तेरे प्यार को हमने दिल में सज़ा रखा है,
करते है तुमसे यूं बाते रोज,
हमने प्यार का एक ख़ूबसूरत महल बना रखा है।
आपकी इन पंक्तियों ने हमें आपका कायल बना दिया।
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mujhe is baat ki khushi hai…☺️
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😊
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