आज फिज़ाओं में नशा सा छाया है
जरूर मेरी महबूबा का दीदार किया होगा।
Aaj fizao me nasha sa chhaya hai
Jaroor meri mahbooba ka didar kiya hoga
मुकद्दर में नहीं था मोहब्बत मेरे…
समझ में नहीं आता तेरा शुक्रिया अदा कैसे करू।
Mukaddar me nahi tha mohabbat mere…
samajh me nahi aata tera shukriya kaise adaa karu.
गुस्ताख़ी तो तेरी आंखो ने कर दी…
वरना मेरा दिल तो नासमझ था बेचारा।।।
Gustakhi to teri aankhon ne kar di…
Warna mera dil to nasamjh tha bechara.
यूं ना झुका नज़रे इस नज़ाकत से…
कहीं मेरा दिल तेरा बागी ना हो जाए।।।
Yun na jhuka nazaren is nazakat se…
Kahi mera dil tera baagi na ho jaye.
तुम कहो तो बेशक जान दे दूंगा अपनी…
मगर क्या मेरे बिना भी तुम मेरी बनके रह पाओगी।।।
Tum kaho to beshaq jan de dunga apni…
Magar kya mere bina bhi tum meri banke rah paogi.
इतनी फिक्र ना कर मेरी कि मै बेफिक्र हो जाऊं…
तेरे इस हरकत से तुझसे ही दूर ना हो जाऊं।।।
Itni fiqer na kar meri ki mai befiqer ho jau…
Tere is harkat se tujhse hi dur na ho jau.
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तुम मेरी चाहत हो इसीलिए पाना है तुम्हे…
जरूरत होती तो खरीद लेता।।।
Tum meri chahat ho isiliye pana hai tumhe…
Jarurat hoti to kharid leta.
ये सारा जहां वाकिफ है मेरी कामयाबी से…
पर मेरे पांव के छाले सिर्फ तुमने ही देखे।।।
Ye sara jahan Wakif hai meri kamyabi se…
par mere pao ke chhale sirf tumne hi dekhe.
बेशक तुम ले लो तलाशी इस दिल की…
शिवाय तुम्हारी बातो के यहां कुछ और ना मिलेगा।।।
Beshaq tum lelo talashi mere dil ki…
Shivay tumhari bato ke yaha kuch aur na milega.
मुझे कहा पता था कि इश्क़ क्या है…
आज कोई पूछे तो हम तुम्हारा नाम लेते है।।।
Mujhe kaha pata tha ki ishq kya hai…
Aaj koi puche to hum tumhara naam lete hai.